बुधवार, 3 मार्च 2010

उपन्यास का विमूचन

पिछले दिनों मेरे घर वैसा ही माहौल था जैसा घर में किसी नए सदस्य के आने पर होता है। चार सालो से ज्यादा दिनों से मै एक उपन्यास पर काम कर रहा था, दिल्ली के पुस्तक मेले में वह उपन्यास विमोचित हो गया। नए बालक को बहुतो नेदेखा.दद्दा महेष कटारे ने कहा कि यह तो चंबल की आज की कथा है। वहा जातिवादी राजनीति का जैसा घिनौना रूप देखने को मिल रहा है उसका यह तो कच्चा चिट्ठा है। मैंने यह उपन्यास गो पालक बिरादरी को समर्पित किया है.

1 टिप्पणी:

  1. इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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