पिछले दिनों मेरे घर वैसा ही माहौल था जैसा घर में किसी नए सदस्य के आने पर होता है। चार सालो से ज्यादा दिनों से मै एक उपन्यास पर काम कर रहा था, दिल्ली के पुस्तक मेले में वह उपन्यास विमोचित हो गया। नए बालक को बहुतो नेदेखा.दद्दा महेष कटारे ने कहा कि यह तो चंबल की आज की कथा है। वहा जातिवादी राजनीति का जैसा घिनौना रूप देखने को मिल रहा है उसका यह तो कच्चा चिट्ठा है। मैंने यह उपन्यास गो पालक बिरादरी को समर्पित किया है.
इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएं